घर परिवार की याद शायरी इन हिंदी | Ghar ki yaadein shayari

घर की याद शायरी इन हिंदी

इस पोस्ट में हम इन सभी वर्ग की शायरियों को लिखने वाले है :- घर वापसी शायरी इन हिंदी | घर परिवार की शायरी | घर से दूर जाने की शायरी | घर का बटवारा शायरी | घर के मुखिया पर शायरी | गाँव की याद शायरी | कच्चे मकान शायरी | घर की जिम्मेदारी शायरी | छोड़कर जाने वाली शायरी | घर से दूर नौकरी ।

घर की याद शायरी शुरू करते है इस लाइन से :-

अजीब है बात मगर कहना जरुरी है !  आँखों में अपने है मगर उन्हें भुलाना जरुरी है !
जान से प्यारा है अपना घोंसला मगर उसे छोड़ कर जाना जरुरी है।

जाने कैसे कुछ परिंदे,
छोड़ कर अपना बसेरा,
बना लिया करते है,
इधर उधर डेरा।


वक़्त का किस्सा भी अजीब है जनाब,
सुबहे को जिस घर से भाग कर निकले थे,
शाम होने पर लोगो से, हम उसी घर का पता पूछ रहे है।
|| घर वापसी शायरी इन हिंदी ||


कितने तनहा हो गए है घर से दूर रहकर,,,!
जी तो रहे है मगर मजबूर होकर।


याद आती है हमको दिन के हर पेहेर में,
अब जो रहने लगे है घर से दूर हम ये नौकरी वाले शहर में।


दूर हु तुमसे पर फिर भी दूर नहीं,
मजबूर हु मिलने को, पर फिर भी में मजबूर नहीं,
इस चिराग ही जला देना मेरे नाम का, माँ
मेरा साया ही सही कोई तो पहुंच सकेगा,
इस दिवाली वहाँ।
|| घर परिवार की शायरी ||


मुझे मालूम था की वो रास्ते मेरी मंजिल तक नहीं जाते थे,
क्योकि उस राह में कुछ अपनों के घर भी आते थे।


घर वापसी शायरी इन हिंदी

ख़ुशी के माहौल में मोत का फरमान आ रहा है,
जो कहते थे की गाँव में क्या रखा है,
उन्हें भी आज गाँव याद आ रहा है।


गाँव की गलियों ने भी पहचानने से इंकार कर दिया,
यूँ किसी से ज्यादा दिन दूर रहना अच्छा नहीं होता।


घर में सबसे छोटा होना भी आसान नहीं,
जिम्मेदाररियाँ भले ही ना हो, उम्मीदे बहोत होती है हमसे।
|| घर से दूर जाने की शायरी ||


ये अनजान सा शहर, सुनी सड़को पर क्या क्या नहीं होता,
पूछिए उनसे जिनके घर होते हुए भी घर नहीं होता।


कोशिश तो यही है की घर के पास आ जाये,
आज यहाँ है, क्या पता किस्मत कल कहा ले जाये।


तुम अभी नए हो इस शहर से, तुम्हे शहर अच्छा लगा,
मैं वाक़िफ़ हू इस शहर के हर शख्स से मुझे तो मेरा घर अच्छा लगा।
|| घर का बटवारा शायरी ||


जुस्तजू इ मस्सर्रत में घर से निकला था में,
इल्म अब हुआ के सब खुशियां तो घर में है,
अब घर की याद में आँखे बस नाम हो जाती है,
क्यों की खुल के रोने की आजादी तो बस घर में है।


बहनो के साथ लड़ाई, भाई के साथ पढाई,
माँ का प्यार, पापा का दुलार,
दोस्तों की यादे मोहल्ले की राते,
क्या बताऊ कितना याद आ रहा है सब,
हां घर याद आ रहा है अब।


दिल में अब भी दर्द बहोत है,
उनकी बहोत याद आती है,
घर छोड़े सालो हो गए,
मुझे माँ की याद बहोत सताती है।
|| गाँव की याद शायरी ||


घर की दहशत से लरजता हू,
मगर जाने क्यों,
शाम होती है तो घर जाने को जी चाहता है।


घर की याद शायरी

घर को घर बनाने के लिए घर से दूर चले जाते है,
दूसरे शहरों में अपना आशियाना बना लेते है,
घर में मेहमान आने पर, सबसे लाडला बेटा बताती थी माँ,
पर सपनो के खातिर अब खुद ही मेहमान बनकर घर जा पते है।
|| घर की जिम्मेदारी शायरी ||


फिर कब आओगे, यह घर ने मुझसे चलते वक़्त पूछा था,
यही आवाज अब तक गूंजती है मेरे कानो में।


किसे पसंद है महलो की आस में घर से दूर रहना,
कम्बख्त खली जेब ने और भूखे पेट ने मुसाफिर बना रखा है।


आज फिर घर लौटना मुश्किल हो गया,
कुछ रिश्तो ने इस क़दर घायल किया।
|| छोड़कर जाने वाली शायरी || 


तो दोस्तों अगर में घर के बारे में लिखे जाऊं तो शायद शब्द काम पड़ जायँगे पर घर की तारीफ ख़तम नहीं होगी, इसी लिए मेने बहोत ही काम और लाजवाब किस्म की शायरियां ही इस पोस्ट में टाइप की है जो मुझे लगता है आप के दिल को जरूर से भा जायँगी, और आप को अपना बचपन और अपना घर परिवार जरूर से याद दिला कर जायँगी।

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अगर आप को हमारी घर की याद शायरी पड़ कर आपके घर की याद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ और अपने घर वालो के साथ जरूर से शेयर करे,

हमारी पोस्ट को इतने ध्यान से पढ़ने के लिए आपका बहोत बहोत शुक्रिया।