15 august par kavita hindi me ! स्वतंत्रता दिवस कविता

15 August Par Kavita : हमारा देश भारत 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश राज से आजाद हुआ था. भारत देश दुनिया का सबसे खूबसूरत देश है यहाँ हर कदम कदम पर आपको नई भाषा सुनने को मिलेगी, हर जाती और धर्म के लोग आपको देखने को मिलेंगे और और सबसे अच्छी बात है की यहाँ पर सभी लोग आपस में मिल कर के रहते है।

भारत को आज़ादी दिलाने के लिए बहुत से क्रांतिकारी शहीद हुए थे. अगर उन्होंने अपनी कुर्बानी ना दी होती तो आज भी हम अंग्रेजो के गुलाम होते. गुलामी ही हमारे देश में गरीबी का कारण है, भारत का काफी समय तक शोषण हुआ जिस वजह से विकास में काफी समय लगा.

कभी इस देश को सोने की चिड़िया कहा जाता था लेकिन गुलामी के बाद से लगभग सब कुछ बदल गया. लेकिन फिर भी हार ना मानते हुए आज़ादी के बाद सभी भारतीयों ने अपनी मेहनत के दम पर दुनियाभर में कामयाबी पाई है. हम सभी को गर्व होना चाहिए की हमने भारत के मिट्टी पर जन्म लिया है.

आज हमारे देश की आजादी का दिवस है तो उसी पर हम आपके लिए 15 August par Kavita लेकर आये hai

15 August Par Kavita Hindi

ज़िन्दगी तेरे नाम लिख दी ऐ मेरे वतन,
हम खुद को भी तेरे नाम कुर्बान कर जायँगे,
मिटाकर भी अपनी हस्ती को
करेंगे देश का सर ऊँचा,
अपने लहू का हर कतरा तेरे नाम कर जायँगे,
फौलाद है हम जो टूटे नहीं यूँही,
ये जिगर भी अपने देश के नाम कर जायँगे।

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ना रॉब रखते है ना रुआब रखते है,
धन दौलत नहीं, किताब रखते है,
घर दूर है बहुत ना काबिल-ऐ-क़ुबूल ये हक़ीक़त,
दिल बहलाने के लिए ही सही, शायर का ख्वाब रखते है,
चाहे हो कितना अँधेरा हर तरफ हो विध्नों का घेरा,
पर अडिग पहरुए वतन के, दिल में आफ़ताब रखते है,
यूँ तो आशिक़ है धुरंदर जनाब, पर कोई माशूक़ नहीं,
दिल में है वतन और उसी से मोहब्बत बेहिसाब रखते है।

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देश के जीने वाले है हम,
देश के लिए जान देना भी पसंद करते है,
वक़्त आये तो मर मिटेंगे, देश के लिए ये वादा,
आज हम अपने वतन से करते है।

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 – ऐ मेरे वतन –
मेरी तस्वीर हो तुम मेरी ज़मीर हो तुम,
ऐ मेरे वतन मेरी तक़दीर हो तुम,
तू जो अनोखा सा मिला है,
हम फूल है तू गुलिस्तां सा खिला है,
मेरा अक्स है तू ही मेरा बिछड़ा चमन,
तुझसे ही तो गुरुर है तू ही मेरा सच्चा अहम्।

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देश की आजादी पर शायरी

किसी हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई की नहीं,
ये शहीदों की ज़मीं है,
जिसने झेली है गोलियां,
आजादी के लिए खेली है खून की होलियां,
कैसे भूलू उसके बलिदान को,
सेकड़ो ने दी है कुर्बानियां,
तब जाकर हमें मिली है आजादियां,

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चेन से हम सोते है जब सरहद पर जवान होते है,
उन आँखों की दो बूंदो से, सातो समंदर हारे होते है,
जब मेहँदी वाले हाथो ने मंगल सूत्र उतारे होते है,
खुशकिस्मत वही होते है जो हिंदुस्तान में पैदा होते है।

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फिर एक बार देश पर मोहब्बत छाने वाली है,
कुछ दिन और गुजर जाने दो, 15 अगस्त आने वाली है।

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खूब बहती है अमन की गंगा
यहाँ बहने दो,
मत फेलाओ देश में दंगा रहने दो,
लाल हरे रंग में ना बांटो हमको, मेरे
छत पर भी तिरंगा रहने दो।

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