जलन शायरी – Jalan Shayari In Hindi

1- मत पूछ किस हाल में वक़्त गुज़ारा गया,
मैं दुश्मनों से बचा अपनों में मारा गया।

2- दुनिया वाले कामियाबी देख जलते रहे,
वो पीठ पीछे बकते रहे, हम आगे आगे चलते रहे।

3- ये जो मेरे झूठे किस्से सुनाते हैं वो खुद कहानी हो जाएंगे,
हमसे जलने वाले खुद पानी-पानी हो जाएंगे।

4- कहानी इनकी कहीं ख़ाक ना हो जाए,
मुझसे जलने वाले कहीं राख ना हो जाएं।

5- मुझे ऊँचाई पर देख वो जलते रहे
मगर उनकी एक चिंगारी भी मुझ तक नहीं पहुंची।

6- ज़माने वालों के बेसुरे ताने कभी राग नहीं बन सकते,
हमसे जलने वाले कभी आग नहीं बन सकते।

7- ये बात तो अब सारे ज़माने में साबित हो चुकी है,
लोग अपने दुखों से नहीं दूसरों की ख़ुशी से दुखी है।

8- परेशान है हो मेरी कामियाबी देख
कर मैं खुश हूँ उन्हें परेशान देख कर।

9- हमसे दुश्मनी वो कुछ इस क़दर रखते हैं,
की हमसे ज्यादा वो हमारी खबर रखते हैं।

10- कुछ इस बखूबी से हमने ज़िन्दगी का खेल चलाया है,
चाहने वालों को खूब चाहा और जलने वालों को खूब जलाया है।

11- मेरे होंसलों की आग थी ही इतनी बुलंद
इसमें कुछ दुश्मन जल गए तो मेरा कसूर क्या।

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12- कमाया भी काफी गवाया भी काफी है,
हमने जलने वालों को जलाया भी काफी है।

13- चौकन्ना रहना पड़ता है हर आहट-ऐ-क़दमों से,
जब से मालूम हुआ अपने ही जल रहे हैं अपनों से।

14- बुढ़ापा आ गया है दुश्मनों का उनसे कहो की चला कम करें,
एक दिन खुद बखुद राख हो जाएंगे उनसे कहो की जला कम करें।

15- नमक मिला रहे हैं सगे जख्म की दवाइयों में,
नज़र आती है अब मुझे जलन बधाइयों में।

16- अब क्या बदला लिया जाए संग चलने वाले ही अपने है,
अब किसे अच्छी खबर सुनाई जाए कम्बख्त जलने वाले भी अपने हैं।

17- ज़िन्दगी खेल शतरंज का है जनाब यहाँ
लोग क़दम क़दम पर चालें चलते हैं।

18- क्यों दरें ज़िन्दगी में क्या होगा,
कुछ नहीं भी होगा तो तजुर्बा होगा।

19- जो जलते रहे ताउम्र किसी और से
उनका घर खुद का कभी रोशन ना हुआ।

20- सर्दियां बस आने को है,
जलने वालों से थोड़े हाथ सेक लेंगे।

21- जिनकी नइया मझदार में फस जाती है
वही जहाज़ों से जला करते हैं।

22- रहते है उखड़े उखड़े दूसरों से
जो खुद कुछ उखाड़ नहीं पाते।

23- किया कम ज्यादा जताया जाता है,
गरीबों की गरीबी का मज़ाक बनाकर उन्हें जलाया जाता है।

24- दफ़न नहीं करूंगा सनम अपने
दुश्मनों को मैं ज़िंदा जलाऊंगा।

25- बस बात ऐसी है की मैंने तुझे कभी बताया नहीं,
वरना ऐसा कोई वक़्त नहीं जो तूने मुझे जलाया नहीं।

26- आ ही गए हैं वो दिन बदनसीबी के,
की जलने लगे है अपने क़रीबी ही क़रीबी से

27- पूरा साथ निभाया करो या फिर संग चला ही मत करो,
दुश्मनी मुँह पर निभाओ पीठ पीछे जला ही मत करो।

28- हम कुछ ऐसा कर जाएंगे की जलने वाले थोड़ा और जल जाएंगे।