kismat ka khel shayari for husband wife | किस्मत का खेल शायरी फॉर पति पत्नी

खेल पर शायरी हैलो दोस्तो तो केसे है आप सभी उम्मीद है बढ़िया होगे।
दोस्तो आज की पोस्ट खेल पर शायरी होने वाली हे जी हा दोस्तो खेल जो कभी हम सब बचपन में खेलते थे बड़े होने के साथ साथ हमारे कंधो पर बहुत सी जिम्मेदारियों ने घर बना लिया होता है।
और हम उन जिम्मेदारियों को निभाते निभाते खेल खेलना तो भूल ही गए है और खेले भी केसे बचपन के दोस्त अब हमारे पास कहा होंगे।
बचपन के वह सुहाने दिन जब हम हमारे दोस्तो भाई बहनों के साथ खेलते थे जी हा दोस्तो आज हम आपको खेल पर कुछ बेहतरीन शायरी सुनाने जा रहे हे दोस्तो ये तो हुई कुछ बचपन के खेल की बात और कुछ खेल ऐसे भी होते है जो लोग एक दूसरे के साथ  खेलते है जी हां दोस्तो वह खेल जो लोग दिलो के साथ खेलते है, तो दोस्तो अब हम कुछ ऐसी शायरी सुनाने जा रहे है जो आप अपने स्टेटस पर हमारी शायरी जरूर अपलोड करेंगे जी हा दोस्तो तो चलिए शुरू करते है, खेल पर शायरी सिर्फ और सिर्फ rahatindorishayari.com पर

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kismat ka khel shayari for husband wife|किस्मत का खेल शायरी फॉर पति पत्नी

bachpan ke khel bhi kitne pyare the,
ruuth kar bhi dosti nahi tuut ti thi,
na hi pyaar kabhi kam hota tha,
ek ki gudiya dulhan, to dusre ka gudda dulha hota tha!!!!

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बचपन के खेल भी कितने प्यारे थे,
रूठ कर भी दोस्ती नहीं टूट ती थी,
न ही प्यार कभी कम होता था,
एक की गुड़िया दुल्हन तो दूसरे का गुड्डा दूल्हा होता था!!!

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wo kashit kagazo ki un waadiyo m ehi reh gayi,
jinhe barish me bhaya karta tha,
bhale aagaye aaj sheher me magar yaad aata hai ki,
hum bhi un nadiyo m e nhaya karte the!!!

वो कश्ती कागज़ो की उन वादियों में ही रह गयी,
जिन्हे बारिशो में बहाया करता था,
भले आगये आज शहर में मगर याद आता है की,
हम भी उन नदियों में नहाया करते थे!!!

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kabhi kabar man karta hai, keh du tujhse katti baat nahi karni tumse,
par yeh sochkar ruk jati hu, ki hum bacche nahi,
or kahu bhi to tu manane nahi aayega…

कभी कभार मन करता है, कह दू तुझसे कट्टी बात नहीं करनी तुमसे,
पर यह सोचकर रुक जाती हु, की हम बच्चे नहीं और कह भी तो,
तू मानाने नहीं आएगा!!!

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bachpan wale khilone puuch rahe hai,
kesa lagta hai jab log tumhare saath khelte hai !!!

बचपन वाले खिलोने पूछ रहे है,
केसा लगता है जब लोग तुम्हारे साथ खेलते है।।।

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नसीब का खेल शायरी हिंदी में

chalo ab nikal to jindagi se,
bahut khel liya tumne pyaar ka khel…

चलो अब निकल दो जिंदगी से,
बहुत खेल लिया तुमने प्यार का खेल!!!

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ishq ka khel tha khiladi, hum ban gaye chaal kisi aur,
ka tha chal hum gaye wo naseeb, kisi aur ki thi haar hum haar gaye….

इश्क़ का खेल था खिलाडी, हम बन गए चाल किसी और,
का था चल हम गए वो नसीब, किसी और की थी हार हम गए!!!

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Thi saari baat hathon ki Lakeero ki….
Tum lakir Dekh rhi hi
Mai tumhari aakhe dekhne
Ko tars Raha Hu

थी सारी बात हाथो की लकीरो की,
तुम लकीर देख रही हो,
में तुम्हारी आखे देखने को तरस रहा हु!!!

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kuch khwaab agar khel me puura ho jaye,
to kyun usk eliye rajneeti karna!!!

कुछ ख्वाब अगर खेल खेल में पुरा हो जाए…
तो क्यों उसके लिए राजनीति करना

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रिश्तो में सतरंज का खेल शायरी

Khel lo jab tak tut nhi jati,
fir dekhungi kis k sath khelte ho,
i think tab tak naya koi mil hi jayega khelne k liye…

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खेल लो जब तक टूट नहीं जाता,
फिर देखूंगी किसके साथ खेलते हो,
आई थिंक तब तक कोई मिल ही जायेगा खेलने के लिए!!!

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chal na yar fir mitti se khele,
umr hi kya thi jo pyaar se khel bethe!!

चल ना यार फिर मिट्टी से खेले,
उम्र ही क्या थी जो प्यार से खेल बैठे..

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Chalo ye khel phir khele,
me tumhe manaunga, tum bevjah ruth jana…
Me phir se mafi magunga, Tum bina baat ke zhagad jana…
Me sath tumhara magunga, Or tum phir chod kar chali jana…!!

चलो ये खेल फिर खेले,
में तुम्हे मनाऊंगा, और तुम बे वजह रूठ जाना,
में फिर से माफ़ी मांगूंगा, तुम बिन बात के झगड़ जाना,
में साथ तुम्हारा मांगूंगा, और तुम फिर छोड़ कर चल जाना!!!

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Har khel ko pyar nhi kehte,
or jo pyar karte hain wo pyar ko khel nhi kehte….

हर खेल को प्यार नहीं कहते,
और जो प्यार करते है वो प्यार को खेल नहीं कहते!!!

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खेल पर शायरी

jo dava karte the humari khamoshi padhne ka,
wo aaj humare lafz bhi na samajh sake!!!!

जो दावा करते थे हमारी खामोशी को पढ़ने का
वो आज हमारे लफ्ज़ भी ना समझ सके!!!!

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haar gaye ab humare bure bhagye se hum,
fuul bhari raah par bhi humne thokar khai hai…

हार गए अब हमारे बुरे भाग्य से हम,
फूल भरी राह पर भी हमने ठोकर खाई है।

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khel yeh kesa wo ishq ka khel rahi hai,
na khud haarti hai na mujhe haarne deti hai!!!

खेल ये कैसा वो इश्क़ का खेल रही हैं
न खुद हारती हैं ना मुझे हारने देती हैं

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Kismat Bhi Khelti Hai Apne Bhi Khelte Hai
Bas Hume Kissike Saat Nahi Khelna Hai…

किस्मत भी खेलती है अपने भी खेलते है,
बस हमे किसीके साथ नहीं खेलना है!!!

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शब्दों का खेल शायरी

waqt ne kya khoob khela,
jo tod de har sapna, har khwahish,
unse hi na jane kyo hota mail hai….

वक़्त ने क्या खूब खेला, ये खेल है,
जो तोड़ दे हर सपना, हर ख्वाइस,
उनसे ही न जाने क्यों होता मेल है!!!

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jee chahata hai aj ro lu me jee bhar,
ki na jane kis kis baat se udas hu me,
na jane dard hi meri fitrat hai,
ya logo ke liye mazak hu me…

जी चाहता है आज रो लू में जी भर,
की न जाने किस किस बात से उदास हु में,
न जाने दर्द ही मेरी फितरत है,
या लोगो के लिए मज़ाक हु में!!!

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Aaj bhut yaad aa rhi h tumhari…Ab to wapas aa jao na…
Ki ab to apno ne bhi sath chhodna suru kar diya…
Ek tum hi to thi jo har pal mere sath thi…
Lekin ab tum bhi badal rhi ho…Sayad kisi aur ki mohabbat me pal rhi ho…

आज बहुत याद आ रही है तुम्हारी, अब तो वापस आ जाओ न,
की अब तो अपनों ने भी साथ छोड़ना शुरू कर दिया,
एक तुम ही तो थी जो हर पल मेरे साथ थी,
लेकिन अब तुम भी बदल रही हो, शायद किसी और की मोहोब्बत में पल रही हो!!

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