Mirza Ghalib Shayari

Ghalib Shayari

Ghalib Ki shayari
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काश सब के पास एक ऐसा इंसान हो 
जो अच्छे बुरे वक़्त में दिल से उसका साथ दे 

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नफरत कर के क्यों बढ़ाते हो अहमियत किसी की
माफ़ करके शर्मिंदा करने का तरीका भी तो बुरा नहीं 

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दिमाग और ज़ुबा तेज़ चलने से
रिश्तो की रफ़्तार धीमी पद जाती है

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पेसो से बहुत गर्मी होती है साहब 
सबसे पहले रिश्ते जलकर खाक होते है 

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ज़रूरत से ज़्यादा वक़्त और इजात देने से 
लोग आपको फ़ालतू समझने लगते है 

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जो ज़ाहिर करना पड़े वो दर्द केसा 
और जो दर्द को न समझे वो हमदर्द केसा 

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तुम चाहे जितने भी आमिर हो जाओ 
माँ बाप के बिना गरीब ही रहोगे 

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उसने कहा कोई आखरी ख्वाहिश,,,
और ज़ुबा पर आ गया तुम

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खफा भी रहते है और
वफ़ा भी करते है 
पाना भी नहीं चाहते 
और खोने से भी डरते है

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खुद को अगर ज़िंदा समझते हो तो 
गलत का विरोध करना सीखो
क्योकि लेहरो के साथ तो सिर्फ मुर्दा ही तेरा करते है

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बाजार में सब कुछ मिल जाता है 
लेकिन माँ जैसी जन्नत और बाप 
जैसा साया कही नहीं मिलता

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