Ghalib Shayari
Ghalib Ki shayari
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काश सब के पास एक ऐसा इंसान हो
जो अच्छे बुरे वक़्त में दिल से उसका साथ दे
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नफरत कर के क्यों बढ़ाते हो अहमियत किसी की
माफ़ करके शर्मिंदा करने का तरीका भी तो बुरा नहीं
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दिमाग और ज़ुबा तेज़ चलने से
रिश्तो की रफ़्तार धीमी पद जाती है
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पेसो से बहुत गर्मी होती है साहब
सबसे पहले रिश्ते जलकर खाक होते है
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ज़रूरत से ज़्यादा वक़्त और इजात देने से
लोग आपको फ़ालतू समझने लगते है
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जो ज़ाहिर करना पड़े वो दर्द केसा
और जो दर्द को न समझे वो हमदर्द केसा
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तुम चाहे जितने भी आमिर हो जाओ
माँ बाप के बिना गरीब ही रहोगे
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उसने कहा कोई आखरी ख्वाहिश,,,
और ज़ुबा पर आ गया तुम
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खफा भी रहते है और
वफ़ा भी करते है
पाना भी नहीं चाहते
और खोने से भी डरते है
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खुद को अगर ज़िंदा समझते हो तो
गलत का विरोध करना सीखो
क्योकि लेहरो के साथ तो सिर्फ मुर्दा ही तेरा करते है
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बाजार में सब कुछ मिल जाता है
लेकिन माँ जैसी जन्नत और बाप
जैसा साया कही नहीं मिलता
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