इंसान की पहचान शायरी | Insaan Ki Pehchan Shayari In Hindi

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इंसान की पहचान शायरी

इंसान की पहचान शायरी
                             Insaan ki pahchan shayari

उसका टोकना ऐसा लगा मानो उसे फिक्र थी मेरी,
मुझे क्या मालूम था धीरे धीरे पहचान छीन रहा था वो मेरी।
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खुद को जान पाना और दुसरो को पहचान पाना बहोत मुश्किल काम है।

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गर सच्चाई से वाक़िफ़ न हो तो कुछ ना कहे,
अंदाज़े से किसी को पहचाना नहीं जाता।

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कमियां वह जो निकल लेते तो क्या होता,
खामोशियों में डूब जाते उनकी चाहत के बिना,
बड़ी मुद्दत से उन चाहने की हमने कोशिश की,
और वो चले गए हमें पहचाने बिना।

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insan ki pahchan shayari in hindi

पहचान बनाने से नहीं बल्कि
पहचान खुद में ही अपनी पहचान बसाती है,
केवल पहचान अपने आप में ही खुद को पहचानती है।

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मैं खुद की पहचान में नहीं आ रहा हूँ,
शायद सच कहते है लोग, मैं बदलता जा रहा हूँ।
• इंसान की पहचान शायरी •

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तेरे प्यार में दो पल की ज़िन्दगी बहोत है,
एक पल की हसी और एक पल की ख़ुशी बहोत है,
यह दुनिया मुझे जाने या ना जाने,
तेरी आँखे मुझे पहचाने यही बहोत है।

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तमाम उम्र की पहचान लेकर जायगा,
तुमसे जुड़ा हर सिलसिला मेरी जान लेकर जायगा,
तुम भटकते रहोगे मेरी मोहब्बत की गलियों में,
तुमसे ही ज़माना तुम्हारा नाम लेकर जायगा।
• इंसान की अहमियत शायरी •

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इंसान की अहमियत शायरी

शक्ल सूरत से कुछ नहीं होता जनाब,
सीरत का होना भी जरुरी है,
सूरत क्या है 4 दिन की मेहमान है,
सीरत तो ज़िन्दगी भर की पहचान है।

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इंसान की अहमियत शायरी

जाने यह भी केसी पहचान हो गई,
मेरी आवारगी मेरी शान हो गई,
क्या हुआ होगा बीती रात यहाँ,
दोपहर से रूठ के सुभह शाम हो गई,
मेरी परछाई ने ही मुझे घेर रखा है तब से,
जब बहस गुफ्तगू ए तमाम हो गई।
• इंसान की पहचान शायरी इन हिंदी •

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बनानी है पहचान मुझे,
रखना नहीं है किसी का एहसान मुझे,
शादी के लिए घर में करते है हमेशा परेशां मुझे,
कैसे समझाऊ बनना है मुझे कुछ बड़ा,
और रखनी है अपनी शान मुझे।

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इंसान की अहमियत शायरी

बनाना है खुद को ऐसा,
देख लोग कहे बनना है वैसा,
पहचान से ताक़त पाकर,
मेहनत की कामना है पैसा।

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जो इंसान तुम्हारी ख़ामोशी समझे,
उसे कभी खुद से दूर मत करना।
• इंसान की कीमत शायरी •

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चार पालो की चाहत में मेरी पहचान ले गए,
अपनी चाहत का तुम मुझे नकाब दे गए,
कभी जो लगता था, में खुद में पूरा सा,
आज तुम मुझे अधूरेपन का एहसास दे गए।

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किसी से शिकवा नहीं ना कोई शिकायत जतानी है,
अभी मुझे मेरी पहचान बनानी है, न कोई उम्मीद किसी से,
न किसी से कोई बात बतानी है, बस अब मुझे मेरी पहचान बनाई है।

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इंसान की कीमत शायरी

इंसान को हमेशा अपनी पहचान ऐसी बनानी चाहिए की,
दुसरो को उनकी पहचान बिन कहे पता चल जाये,
• मेरी पहचान शायरी •

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खुद की पहचान बना लेना, दुसरो को अपनी पहचान करवाने के लिए,
बने है सब एक ही माटी से, बस पहचान ही है जो जुड़ा करती है।

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इंसान की पहचान शायरी इन हिंदी

मेरी पहचान शायरी

नाम की पहचान करवाइये जनाब,
काम से पहचानेंगे तो दुनिया खुदगर्ज़ कहेगी।

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आपके बारे में लोग क्या सोचते है,
इससे आपकी पहचान नहीं बनती,
बल्कि आप लोगो के बारे में क्या सोचते हो,
इससे आपकी असली पहचान बनती है।
• अपनी पहचान शायरी •

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जो रुख बदल दे हवाहो की तरह,
उसमे जान कहा होती है,
अगर पहचान की वजह खुद न हो,
तो यह दुनिया कहा जीने देती है।

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अपनी पहचान शायरी

रिश्तो को निभाते निभाते खुद की पहचान को भूलने लगा था,
फिर भी ज़िन्दगी में फ़क़्र से तेरे साथ चल रहा था।

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माना की फिक्र बहोत है तुमको मेरी,
पर उस बेवजह एतबार का क्या करू,
जब तुमने मुझे समझा ही नहीं,
और उस तुम्हारी दी हुई पहचान का क्या करू,
जब तुमने मुझे पहचाना ही नहीं।

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हमें लालच नहीं मशहूर होने का,
तुम मेरी कलम से मुझे पहचानते हो बस इतना ही काफी है।
• खुद की पहचान शायरी •

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नहीं जानते मुझे तो थोड़ा जान लीजिये,
यूँ अनजान रह के मेरी जान लीजिये।

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