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ग़ुल्ज़ार के नाम से कोन वाकिफ नही होगा । अगर आप भी गुल्ज़ार सहाब के फेन है तो चलिये साथ मे बेठ कर पड़ते है गुल्ज़ार की शायरी हिंदी मे ।
Gulzar Shayari in Hindi

1. हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है;
जिस तरफ़ भी चल पड़ेगे, रास्ता हो जाएगा।
2. अभी सूरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो;
मैं खुद लौट जाऊंगा मुझे नाकाम तो होने दो;
मुझे बदनाम करने का बहाना ढूंढ़ता है जमाना;
मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले मेरा नाम तो होने दो।
3. मालूम है दुनिया को ये ‘हसरत’ की हक़ीक़त;
ख़ल्वत में वो मय-ख़्वार है जल्वत में नमाज़ी।
4. लूम है दुनिया को ये ‘हसरत’ की हक़ीक़त;
ख़ल्वत में वो मय-ख़्वार है जल्वत में नमाज़ी।
5. मालूम है दुनिया को ये ‘हसरत’ की हक़ीक़त;
ख़ल्वत में वो मय-ख़्वार है जल्वत में नमाज़ी।
Gulzar Quotes In Hindi

6. उदास लम्हों की न कोई याद रखना;
तूफ़ान में भी वजूद अपना संभाल रखना;
किसी की ज़िंदगी की ख़ुशी हो तुम;
बस यही सोच तुम अपना ख्याल रखना।
7. इस नए साल में ख़ुशियों की बरसातें हों;
प्यार के दिन और मोहब्बत की रातें हों;
रंजिशें नफ़रतें मिट जायें सदा के लिए;
सभी के दिलों में ऐसी चाहते हों!
8. उलझी शाम को पाने की ज़िद न करो;
जो ना हो अपना उसे अपनाने की ज़िद न करो;
इस समंदर में तूफ़ान बहुत आते है;
इसके साहिल पर घर बनाने की ज़िद न करो।
9. ख़बर नहीं थी किसी को कहाँ कहाँ कोई है;
हर इक तरफ़ से सदा आ रही थी याँ कोई है;
यहीं कहीं पे कोई शहर बस रहा था अभी;
तलाश कीजिये उसका अगर निशाँ कोई है।
10. हर बार मेरे सामने आती रही हो तुम;
हर बार तुम से मिल के बिछड़ता रहा हूँ मैं;
तुम कौन हो ये खुद भी नहीं जानती हो तुम;
मैं कौन हूँ ये खुद भी नहीं जानता हूँ मैं।
Gulzar Poetry in Hindi Font

11. कुछ मैं भी थक गयी हूँ उसे ढूँढ़ते-ढूँढ़ते;
कुछ ज़िंदगी के पास भी मोहलत नहीं रही;
उसकी एक-एक अदा से झलकने लगा था खलूस;
जब मुझ को ही ऐतबार की आदत नहीं रही।
12. कागज़ की कश्ती से पार जाने की ना सोच;
चलते हुए तुफानो को हाथ में लाने की ना सोच;
दुनिया बड़ी बेदर्द है, इस से खिलवाड़ ना कर;
जहाँ तक मुनासिब हो, दिल बचाने की सोच।
13. सामने मंज़िल थी और पीछे उसका वजूद;
क्या करते हम भी यारों;
रुकते तो सफर रह जाता चलते तो हमसफ़र रह जाता।
14. सियासी आदमी की शक्ल तो प्यारी निकलती है;
मगर जब गुफ़्तगू करता है चिंगारी निकलती है;
लबों पर मुस्कुराहट दिल में बेज़ारी निकलती है;
बड़े लोगों में ही अक्सर ये बीमारी निकलती है।
15. जाने क्या सोच के लहरे साहिल से टकराती हैं;
और फिर समंदर में लौट जाती हैं;
समझ नहीं आता कि किनारों से बेवफाई करती हैं;
या फिर लौट कर समंदर से वफ़ा निभाती हैं।
Guljar shayri

16. जहाँ याद न आये तेरी वो तन्हाई किस काम की;
बिगड़े रिश्ते न बने तो खुदाई किस काम की;
बेशक़ अपनी मंज़िल तक जाना है हमें;
लेकिन जहाँ से अपने न दिखें, वो ऊंचाई किस काम की।
17. जिसमे याद ना आए वो तन्हाई किस काम की;
बिगड़े रिश्ते ना बने तो खुदाई किस काम की;
बेशक इंसान को ऊंचाई तक जाना है;
पर जहाँ से अपने ना दिखें वो उँचाई किस काम की।
18. प्यार में कोई तो दिल तोड़ देता है;
दोस्ती में कोई तो भरोसा तोड़ देता है;
ज़िंदगी जीना तो कोई ग़ुलाब से सीखे;
जो खुद टूट कर दो दिलों को जोड़ देता है।
19. सितम की रस्में बहुत थीं लेकिन, न थी तेरी अंजुमन से पहले;
सज़ा खता-ए-नज़र से पहले, इताब ज़ुर्मे-सुखन से पहले;
जो चल सको तो चलो के राहे-वफा बहुत मुख्तसर हुई है;
मुक़ाम है अब कोई न मंजिल, फराज़े-दारो-रसन से पहले।
20. मंज़िलों के ग़म में रोने से मंज़िलें नहीं मिलती;
हौंसले भी टूट जाते हैं अक्सर उदास रहने से।
Gulzar Shayari on Life

21. फर्क होता है खुदा और फ़क़ीर में;
फर्क होता है किस्मत और लकीर में;
अगर कुछ चाहो और न मिले तो समझ लेना;
कि कुछ और अच्छा लिखा है तक़दीर में।
22. लाखों में इंतिख़ाब के क़ाबिल बना दिया;
जिस दिल को तुमने देख लिया दिल बना दिया;
पहले कहाँ ये नाज़ थे, ये इश्वा-ओ-अदा;
दिल को दुआएँ दो तुम्हें क़ातिल बना दिया।
23. इस डूबी हुई नाव का किनारा हो तुम;
मेरी ज़िंदगी का आखिरी अंजाम हो तुम;
यूँ तो हर मुश्किल को पार करने की हिम्मत है मुझमे;
बस तुम को खोने के अंजाम से डरते हैं हम।
24. रहिये अब ऐसी जगह चलकर, जहाँ कोई न हो;
हम सुख़न कोई न हो और हम ज़ुबाँ कोई न हो;
बेदर-ओ-दीवार सा इक घर बनाना चाहिए;
कोई हमसाया न हो और पासबाँ कोई न हो;
पड़िए गर बीमार, तो कोई न हो तीमारदार;
और अगर मर जाइए, तो नौहाख़्वाँ कोई न हो।
25. बेचैन बहुत फिरना घबराये हुए रहना;
इक आग से जज्बों की भड़काए हुए रहना;
आदत ही बना ली है तुम ने तो मुनीर अपनी;
जिस शहर में भी रहना उकताए हुए रहना!
Gulzar Shayri in hindi

26. तुमने चाहा है मुझे ये करम क्या कम है;
तुम प्यार करते हो मुझसे ये भरम क्या कम है;
एक दिन ये भरम टूटेगा मेरा,
उफ़ किस्मत का ये सितम क्या कम है
27. हर मुस्कुराहट से सरगरनी है;
क्या यही आलिम जवानी है;
आ तुझे एक राज़ बतलाऊं,
मैं भी फ़ानी हूँ, तू भी फ़ानी है।
28. हर वक़्त का हँसना तुझे बर्बाद न कर दे,
तन्हाई के लम्हों में कभी रो भी लिया कर;
ए दिल! तुझे दुश्मनों की पहचान कहाँ,
तू हल्क़ा-ए-यारां में भी मोहतात रहा कर।
29. कोई गुजराती बचा लाया;
कोई बिहारी बचा लाया;
कोई तेलुगुओं के लिए हाहाकार करने लगा;
इसी गहमा-गहमी में हिन्दुस्तानी बह गया।
30. रूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिये;
चोट लगती है हमें और चिल्लाती है माँ;
चाहे हम खुशियों में माँ को भूल जायें दोस्तों;
जब मुसीबत सर पे आ जाए, तो याद आती है माँ।
Shayari Gulzar

31. लगे है फोन जबसे तार भी नहीं आते;
बूढी आँखों के अब मददगार भी नहीं आते;
गए है जबसे शहर में कमाने को लड़के;
हमारे गाँव में त्यौहार भी नहीं आते।
32. सरहदों पर बहुत तनाव है क्या;
कुछ पता तो करो चुनाव है क्या;
खौफ बिखरा है दोनों समतो में;
तीसरी समत का दबाव है क्या।
33. सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जायेगा;
इतना मत चाहो उसे वो बे-वफ़ा हो जायेगा;
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है;
जिस तरफ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जायेगा।
34. एक ही चौखट पे सर झुके;
तो सुकून मिलता है;
भटक जाते हैं वो लोग;
जिनके हजारों खुदा होते है।
35. वो ज़ालिम मेरी हर ख्वाहिश ये कह कर टाल जाता है;
दिसम्बर जनवरी में कौन नैनीताल जाता है;
मुनासिब है कि पहले तुम भी आदमखोर बन जाओ;
कहीं संसद में खाने कोई चावल दाल जाता है।
Two Line Gulzar Shayari

36. आँख में पानी रखो, होठों पे चिंगारी रखो;
ज़िंदा रहना है तो, तरकीबें बहुत सारी रखो;
ले तो आये शायरी बाज़ार में राहत मियाँ;
क्या ज़रूरी है की लहजे को भी बाज़ारी रखो।
37. हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली;
कुछ यादें मेरे संग पांव पांव चली;
सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ;
वो जिंदगी ही क्या जो छाँव-छाँव चली।
38. खामोश बैठे हैं तो लोग कहते हैं उदासी अच्छी नहीं;
और ज़रा सा हंस लें तो लोग मुस्कुराने की वजह पूछ लेते है।
39. कुछ इस तरह मैंने;
जिंदगी को आसां कर लिया;
किसी से माफ़ी मांग ली;
किसी को माफ़ कर दिया।
40. जलते घर को देखने वालों, फूस का छप्पर आपका है;
आपके पीछे तेज़ हवा है, आगे मुकद्दर आपका है;
उस के क़त्ल पे मैं भी चुप था, मेरा नम्बर अब आया;
मेरे क़त्ल पे आप भी चुप है, अगला नंबर आपका है।
Gulzar shayari on life

42. यूनानी मिश्र और रोमी सब मिट गये जहाँ से;
अब तक मगर हैं बाकी नाम-ओ-निशा हमारा;
कुछ बात हैं के हसती मिटती नहीं हमारी;
सदियों रहा हैं दुश्मन दौर-ए-जहाँ हमारा।
43. हम उबलते हैं तो भूचाल उबल जाते हैं;
हम मचलते हैं तो तूफ़ान मचल जाते हैं;
हमें बदलने की कोशिश करनी है ऐ दोस्तों;
क्योंकि हम बदलते हैं तो इतिहास बदल जाते है।
44. आओ झुक कर सलाम करें उनको;
जिनके हिस्से में यह मुकाम आता है;
खुशनसीब होता है वो खून;
जो देश के काम आता है।
45. ग़ज़लों का हुनर साकी को सिखायेंगे;
रोएंगे मगर आँसू नहीं आयेंगे;
कह देना समंदर से हम ओस के मोती हैं;
दरिया की तरह तुझसे मिलने नहीं आयेंगे।
Gulzar Ki Shayari

46. बीत गया है, जो साल भूल जाइये;
इस नए साल को पूरे मन से गले लगाइये;
मांगते हैं दुआ हम रब से सर झुका कर;
नए साल के सारे सपने पूरे हो जाए आपके।
47. निगाहों में मंज़िल थी;
गिरे और गिर कर संभलते रहे;
हवाओं ने तो बहुत कोशिश की;
मगर चिराग आँधियों में भी जलते रहे।
48. जली रोटियों पर बहुत शौर मचाया तुमने;
माँ की जली उँगलियों को देख लेते तो;
भूख ही उड़ गई होती।
49. शाम सूरज को ढलना सिखाती है;
शम्मा परवाने को जलना सिखाती है;
गिरने वाले को तकलीफ तो होती है मगर;
ठोकर इंसान को चलना सिखाती है।
50. अगर कुछ सीखना ही है;
तो आँखों को पढ़ना सीख लो;
वरना लफ़्ज़ों के मतलब तो;
हजारों निकाल लेते है।
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